Tuesday, December 11, 2007

अरसा हो गया था कुछ भी ब्लोग किये हुए तो सोचा कुछ लीख देते है
तो आप लोगो के समक्ष मै अपनी नयी रचना लेके हाजिर हुआ हूँ
उम्मीद है आपको पसंद आएगी


कोई नाम दूं

सोचता हूँ तुम्हे कोई नाम दूं
सोचता हूँ मगर क्या नाम दूं

रूबरू पाके तुमको मै हैरान हूँ
ख्वाब को अपने मै क्या नाम दूं

दिल कहूं या धड़कन कह दूं
ज़िंदगी जैसा तुमको कोई नाम दूं

अदा कहूं नजाकत कह दूं
शोखी भरा कोई नाम दूं

बादल कहूं या बरखा कह दूं
बरसती मेघा सा कोई नाम दूं

आँचल कहूं पुरवा कह दूं
महकती 'खुशबु ' सा कोई नाम दूं

इश्क है तुमसे तुमसे यह चाहता हूँ
'प्यार ' जैसा तुम्हे कोई नाम दूं







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